आधार कार्ड को लेकर बड़ा फैसला: अब जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में मान्य नहीं महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने आधार कार्ड के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसके तहत अब आधार कार्ड को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. यह आदेश १ दिसंबर से प्रभावी हो गया है, जिसका सीधा असर सरकारी कामों और संवेदनशील दस्तावेज़ों पर पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने नियोजन विभाग के माध्यम से यह आदेश जारी किया है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि किसी प्रमाणित दस्तावेज़ के आधार पर तय नहीं होती है. इसलिए, इसे सरकारी रिकॉर्ड में जन्मतिथि के सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. सरकार ने UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के पत्र का हवाला देते हुए साफ किया है कि आधार कार्ड केवल पहचान का साधन है, न कि जन्मतिथि या नागरिकता का प्रमाण.
सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं कि नौकरी की नियुक्ति, पदोन्नति, सर्विस बुक में सुधार या अन्य संवेदनशील दस्तावेज़ों में आधार को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार न किया जाए. इसके बजाय, केवल मूल दस्तावेज़ ही मान्य होंगे, जैसे कि जन्म प्रमाण पत्र, हाई स्कूल की मार्कशीट, या नगर निकाय/स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी प्रमाण पत्र.
दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार ने भी इस संबंध में कड़ा रुख अपनाया है. राज्य के राजस्व मंत्री ने सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर जारी किए गए जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों को रद्द करने का आदेश दिया है. यह कदम जाली दस्तावेज़ों के बढ़ते मामलों को देखते हुए उठाया गया है. सरकार ने फर्जी प्रमाण पत्रों को बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी है.
महाराष्ट्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ११ अगस्त २०२३ के बाद नायब तहसीलदारों द्वारा जारी किए गए ऐसे सभी प्रमाण पत्र जो केवल आधार के आधार पर बने हैं, उन्हें भी रद्द कर दिया जाएगा. केंद्रीय दिशानिर्देशों के तहत, आधार को न तो जन्मतिथि का और न ही जन्म स्थान का आधिकारिक प्रमाण माना जाता है.
निष्कर्ष रूप में, अब आधार कार्ड केवल पहचान का एक वैध दस्तावेज़ रहेगा. जन्म से जुड़े किसी भी कानूनी या सरकारी काम के लिए, आधार कार्ड को जन्मतिथि के सबूत के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. लोगों को सलाह दी जाती है कि वे जन्म प्रमाण पत्र और शैक्षिक मार्कशीट जैसे मूल दस्तावेज़ों का ही उपयोग करें.