गेहूं के 20 खरपतवार नाशक 24 घंटो में असर, नया रेट आ गया डीसंबर में 50 रुपये से शुरु.
गेहूं की फसल में खरपतवारों का प्रबंधन और सही दवा का चुनाव करना एक बड़ी चुनौती है, जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। इस वीडियो में गेहूं में उपयोग होने वाली 20 से अधिक खरपतवारनाशक दवाइयों की विस्तृत जानकारी उनके नए रेट (2025 के अनुसार) के साथ दी गई है, ताकि किसान भाई सही और किफायती दवा का चुनाव कर सकें। इन दवाइयों में संकरी पत्ती (घास) और चौड़ी पत्ती वाले दोनों तरह के खरपतवारों के लिए विकल्प शामिल हैं।
संकरी पत्ती वाले खरपतवारों का नियंत्रण (जंगली जई और गुल्ली डंडा):
संकरी पत्ती वाले खरपतवार, जैसे जंगली जई और गुल्ली डंडा, गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाते हैं। इसके लिए क्लोडीनाफोप-प्रोपरजाइल (Clodinafop-propargyl 15%) साल्ट वाली दवाइयां, जो बाजार में ‘टॉपिक’ ब्रांड नाम से उपलब्ध हैं, प्रभावी मानी जाती हैं। सिजेंटा की टॉपिक का रेट लगभग ₹200 है, जबकि श्रीराम और बायेस्टेड जैसे अन्य ब्रांड्स की कीमत लगभग ₹170 और परिजात की कीमत लगभग ₹140 प्रति पैकेट है। यदि टॉपिक भी इन जिद्दी खरपतवारों पर काम करना बंद कर दे, तो फिनोक्साप्रॉप-पी-इथाइल (Fenoxaprop-p-ethyl) साल्ट वाली दवा का उपयोग किया जाता है, जो टॉपिक से भी मजबूत है। सिजेंटा की एक्सिल में आने वाले इस साल्ट का प्रति एकड़ खर्च लगभग ₹650 आता है और यह गोदरेज या अडमा जैसी कंपनियों में भी उपलब्ध है।
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का नियंत्रण (बथुआ, पालक और गाजर घास):
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों, जैसे बथुआ, सिरसम (पालक) और गजरा घास (गाजर घास), के लिए मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल (Metsulfuron Methyl) साल्ट वाली दवाइयां इस्तेमाल की जाती हैं, जिनमें एल्ग्रिप और मोटो प्रमुख हैं। एफएमसी की एल्ग्रिप का रेट लगभग ₹80 है, जबकि उत्तम की मोटो और अनु जैसी कंपनियों के ब्रांड्स लगभग ₹50 में उपलब्ध हैं। अगर खेत में बथुआ, सिरसम या पालक ही है, तो एल्ग्रिप या मोटो जैसी दवाइयाँ अकेले ही काम कर जाती हैं। लेकिन, अगर जिद्दी खरपतवार जैसे गाजर घास भी है, तो एल्ग्रिप के साथ 2,4-डी (58% साल्ट) मिलाकर स्प्रे करने की सलाह दी जाती है। 2,4-डी का रेट लगभग ₹300 प्रति लीटर है और इसकी डोज़ 80 मिलीलीटर प्रति टंकी रखनी चाहिए।
दोनों तरह के खरपतवारों के लिए कॉम्बिनेशन स्प्रे:
आजकल ऐसे कॉम्बिनेशन (मिली-जुली) खरपतवारनाशक भी उपलब्ध हैं, जिनमें संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों साल्ट होते हैं, जिससे एक ही स्प्रे में दोनों तरह के खरपतवार खत्म हो जाते हैं। यूपीएल की दवा (जिसमें क्लोडीनाफोप और सल्फोसल्फ्यूरॉन होता है) का खर्च लगभग ₹500 प्रति एकड़ आता है। वहीं, टोटल ब्रांड (जिसमें सल्फोसल्फ्यूरॉन और मेटसल्फ्यूरॉन होता है) का खर्च लगभग ₹400 प्रति एकड़ है। हालांकि, टोटल जैसे सल्फोसल्फ्यूरॉन युक्त कुछ कॉम्बिनेशन गेहूं पर हल्का पीलापन दिखा सकते हैं और यदि अगली फसल में मक्का या बाजरा बोना हो, तो इनका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्लोडीनाफोप और मेटसल्फ्यूरॉन का कॉम्बिनेशन (जैसे वेस्टा) गेहूं पर कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखाता और अच्छा काम करता है।
विशेष उत्पाद और पीलापन नियंत्रक:
बाज़ार में एफिनिटी (Affinity) जैसे कुछ मजबूत टेक्निकल वाली दवाइयाँ भी उपलब्ध हैं, जिनकी डोज़ 20 ग्राम प्रति डेढ़ एकड़ होती है और इसका खर्च लगभग ₹230 आता है। यह उन जिद्दी खरपतवारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन पर दूसरी दवाइयाँ असर नहीं करतीं। इसके अलावा, आजकल जो अधिक उपज देने वाली (हाईट वाली) गेहूं की किस्में आती हैं, उनकी बढ़वार को नियंत्रित करने के लिए लियोसिन (Liosin) प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर (PGR) का स्प्रे किया जाता है। इसका रेट लगभग ₹1100 प्रति लीटर होता है और इसकी डोज़ 300 से 350 मिलीलीटर प्रति एकड़ ली जाती है। यह फसल की हाइट को बढ़ने से रोकता है, जिससे वह गिरती नहीं है और उत्पादन अच्छा मिलता है।
सरसों में खरपतवार नाशक:
सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए जेयू की सोनारिटा का उपयोग किया जाता है। इसका स्प्रे तब किया जाता है जब सरसों एक महीने की हो जाए और उसमें फूल न आए हों। इसकी डोज़ 6 मिलीलीटर प्रति टंकी हें और इसे 50 ग्राम एक्सपर्ट के साथ मिलाकर करना चाहिए। इस कॉम्बिनेशन का खर्च लगभग ₹2000 में 4 एकड़ (यानी लगभग ₹500 प्रति एकड़) आता है। हालांकि, यह स्प्रे करने के बाद 10 दिन तक सरसों में हल्का पीलापन आ सकता है, लेकिन बाद में फसल खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है। यह सभी दवाइयाँ दुकानदार की ओर से निश्चित और कम दामों पर उपलब्ध हैं, लेकिन ये कूरियर या ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं और सीधे दुकान पर आकर ही खरीदी जा सकती हैं।