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चने की पिंचिंग (ऊपरी हिस्सा तोड़ना): उत्पादन २०-२५ प्रतिशत बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कृषि सलाह.

सही समय, सटीक तकनीक और रासायनिक संजीवकों का प्रयोग; बंपर उत्पादन के लिए इन बातों का रखें ध्यान।

चने की फसल में पिंचिंग का महत्व

रबी के मौसम में चने (हरभरा) की फसल लेने वाले किसानों के लिए ‘पिंचिंग’ (ऊपरी हिस्सा तोड़ना) की प्रक्रिया अधिक उपज प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है ताकि चने के पौधे की केवल सीधी (ऊर्ध्वाधर) वृद्धि न हो, बल्कि उसे बाजू से अधिकतम शाखाएँ फूटने में मदद मिले। कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों के अनुसार, सही समय पर पिंचिंग करने से चने की कुल उपज में आसानी से २० से २५ प्रतिशत तक की वृद्धि की जा सकती है। यह प्रक्रिया चने के सफल फसल प्रबंधन का एक अनिवार्य हिस्सा है।

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पिंचिंग का आदर्श समय और सटीक तकनीक

चने की फसल में पिंचिंग करने का आदर्श समय बुवाई के २५ से ३० दिनों के बाद का होता है। इस समय चने के पौधे में आमतौर पर ५ से ६ पत्तियाँ आ चुकी होती हैं। इस प्रक्रिया में, मजदूर हाथ से या चिमटी की मदद से पौधे का सबसे ऊपरी सिरा और उसकी बिलकुल नई आई हुई ३ से ४ कोमल पत्तियाँ धीरे से तोड़ देते हैं। इस कार्रवाई से पौधे की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले ऑक्सिन नामक हार्मोन की क्रिया अस्थायी रूप से रुक जाती है। इसके बाद, पौधा ऊपर की ओर बढ़ने के बजाय बगल की कक्षास्थ कलियों को सक्रिय करता है, जिससे नई फूटान (शाखाएँ) तेज़ी से बाहर निकलने लगती हैं। यदि आपके खेत में चने की वृद्धि बहुत तेज़ी से हो रही है, तो पहली पिंचिंग के बाद १५ दिनों के अंतराल पर दूसरी पिंचिंग करना पौधे को अधिक फैला हुआ और मजबूत बनाने के लिए उपयोगी होता है।

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