गेहूं की टॉप 4 खरपतवार नाशक दवाई,
गेहूं की फसल में खरपतवारों का नियंत्रण करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है ताकि फसल का उत्पादन बेहतर मिल सके। किसान भाइयों के लिए गेहूं की प्रमुख खरपतवार नाशक दवाइयों की जानकारी यहाँ प्रस्तुत की जा रही है, जिनमें चार सबसे प्रभावी हर्बीसाइड्स शामिल हैं। इन दवाइयों की सही जानकारी और उपयोग की विधि जानना आवश्यक है ताकि कम से कम लागत में फसल को खरपतवार मुक्त रखा जा सके।
1. बायर कंपनी की सेनकोर (Sencor)
सबसे पहले बात करते हैं बायर क्रॉप साइंस की सेनकोर की, जिसमें मेट्रिब्युजिन नामक सक्रिय तत्व (टेक्निकल) होता है। यह पाउडर के रूप में उपलब्ध है और इसका उपयोग बुवाई से पहले (प्री-इमरजेंसी) या फसल उगने के बाद (पोस्ट-इमरजेंसी) दोनों तरह से किया जा सकता है। यह एक सिस्टेमिक (प्रणालीगत) दवा है, जो जड़ों और पत्तियों के माध्यम से पूरे पौधे में फैल जाती है और खरपतवार को नष्ट कर देती है। यह प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को रोककर खरपतवारों को भोजन बनाने से रोकती है, जिससे वे मर जाते हैं।
सेनकोर सभी प्रकार के संकरी पत्ती वाले (Narrow-leaf) और चौड़ी पत्ती वाले (Broad-leaf) खरपतवारों को नियंत्रित करती है। संकरी पत्ती वाले खरपतवार जैसे गुल्ली डंडा और जंगली जई, और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे बथुआ, जंगली पालक, जंगली मेथी और कृष्ण नील को यह आसानी से नष्ट कर देती है। यह मेट्रिब्युजिन तकनीकी आप बायर के अलावा किसी भी अन्य विश्वसनीय ब्रांडेड कंपनी का खरीद सकते हैं। इस दवा का उपयोग गेहूं के अलावा टमाटर और सोयाबीन जैसी फसलों में भी किया जा सकता है, जिसमें फसल को कोई नुकसान नहीं होता है।
2. सिंजेंटा कंपनी की एक्सेल (Excel)
दूसरे नंबर पर सिंजेंटा कंपनी की एक्सेल हर्बीसाइड है, जिसमें पिनोक्साडेन (Pinoxaden 5.1% EC) नामक टेक्निकल होता है। यह पोस्ट-इमरजेंसी दवा है, जिसका उपयोग आप बुवाई के लगभग 30 से 35 दिन बाद कर सकते हैं। यह मुख्य रूप से संकरी पत्ती वाले खरपतवारों, खासकर गुल्ली डंडा और जंगली जई को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करती है।
यदि आपके खेत में चौड़ी पत्ती वाले और संकरी पत्ती वाले खरपतवारों का प्रकोप अधिक है, तो आप एक्सेल के साथ कारपेंट्राज़ोन-इथाइल (Carfentrazone-ethyl 40% DF) को मिलाकर उपयोग कर सकते हैं। कारपेंट्राज़ोन-इथाइल एफएमसी कंपनी के इंफिनिटी नाम से आता है, या आप किसी भी कंपनी का यह टेक्निकल खरीद सकते हैं। इन दोनों को मिलाकर स्प्रे करने से सभी प्रकार के खरपतवार नष्ट हो जाते हैं और फसल सुरक्षित रहती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि देखने को मिलती है।
किसी भी खरपतवार नाशक दवा का उपयोग हमेशा पानी लगाने के बाद ही करना चाहिए। पानी लगाने के एक से दो दिन बाद जब खेत में पर्याप्त नमी हो, लेकिन पानी भरा न हो, तब इसका उपयोग करें। साथ ही, दवा का स्प्रे हमेशा खाद डालने के दो से तीन दिन बाद करना चाहिए, ताकि सभी खरपतवार जल्दी से निकल आएं और दवा के स्प्रे से वे तुरंत मर जाएं।
3. बायर कंपनी की अटलांटिस (Atlantis)
तीसरे स्थान पर बायर कंपनी की अटलांटिस आती है, जिसमें दो टेक्निकल का मिश्रण होता है: मेसोसल्फुरॉन मिथाइल (3%) और आयोडोसल्फुरॉन मिथाइल सोडियम (6%)। यह डीजी फॉर्म में उपलब्ध एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम सिलेक्टिव हर्बीसाइड है। यह भी पोस्ट-इमरजेंसी दवा है जो चौड़ी और संकरी पत्ती वाले लगभग सभी प्रकार के खरपतवारों को नियंत्रित करती है।
अटलांटिस का असर स्प्रे करने के लगभग तीन से चार दिन बाद दिखने लगता है। इसके उपयोग का सही समय तब होता है जब खरपतवार कम से कम दो से तीन पत्तियों के हों और अधिकतम पाँच से छह पत्तियों तक बढ़ चुके हों। इसकी सही मात्रा लगभग 160 ग्राम प्रति एकड़ होती है, जिसे आप 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं।
4. सिंजेंटा कंपनी की टॉपिक (Topic)
चौथे नंबर पर सिंजेंटा कंपनी की टॉपिक हर्बीसाइड है, जिसमें क्लोडीनॉफॉप-प्रोपार्जिल (Clodinafop-propargyl) नामक टेक्निकल होता है। यह विशेष रूप से सभी प्रकार के संकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करती है। यदि आपकी फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार भी मौजूद हैं, तो आप इसके साथ कारपेंट्राज़ोन या सल्फोसल्फुरॉन (Sulfosulfuron) को मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं, जिससे आपको सभी प्रकार के खरपतवारों से निजात मिल सकती है।
इन चारों में से किसी भी खरपतवार नाशक दवा का उपयोग हमेशा साफ मौसम और खिली धूप में ही करना चाहिए, जिससे बेहतर परिणाम मिलते हैं। दवा का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए, जैसे टैंक को अच्छी तरह से साफ करना और दवा डालते समय मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने (ग्लव्स) अवश्य पहनना, जिससे आपकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
















